लेखनी प्रतियोगिता -26-Oct-2023 जिज्ञासा
"जिज्ञासा"
है इतनी सी बस जिज्ञासा मेरी
मैं हृदय को दर्पण में देख सकूँ,
है कितना मैला और पवन कितना
मै उस दर्पण में झांक लूँ...!!
है इतनी सी बस जिज्ञासा मेरी
मैं उसे परमपिता परमेश्वर को
अपना सच्चे हृदय से परिचय दे सकूँ,
क्या पाप पुण्य मैं हर दिन करती हूं,
यह अंतर मन की गहराई से मैं उनको बतला सकूं...!!
है इतनी सी ही जिज्ञासा मेरी
है जिनके हृदय नफरत से भरे हुए
मैं उन लोगों में प्रेम की धारा बहा सकूँ,
हर दिन कुछ ऐसा अद्भुत कार्य करूँ
कि मुस्कान लोगों के होठों पे खिला सकूँ...!!
है इतनी सी बस जिज्ञासा मेरी
जो बिखरे उलझे बालों में हाथ फैलाये खड़े हैं बीच चौराहों पे
मैं उनकी पृष्ठभूमि को मैं जान सकूं,
है मन की आतुर अभिलाषा मेरी
मैं कदम सार्थक उनके लिये उठा पाऊँ...!!
मधु गुप्ता "अपराजिता"
Gunjan Kamal
06-Nov-2023 07:53 PM
👏👌
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Madhu Gupta "अपराजिता"
06-Nov-2023 08:00 PM
🙏🙏🙏
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Mohammed urooj khan
06-Nov-2023 04:46 PM
👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾
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Madhu Gupta "अपराजिता"
06-Nov-2023 08:00 PM
🙏🙏
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madhura
01-Nov-2023 04:01 PM
Fabulous
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Madhu Gupta "अपराजिता"
02-Nov-2023 06:01 PM
Thank u so much 🙏🙏
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